परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज द्वारा समाज के बीच किये गये जनकल्याणकारी कार्य

  1. आपके द्वारा विश्वस्तरीय 108 महाशक्तियज्ञों की श्रृंखला के 8 यज्ञ समाज के बीच संपन्न किये जा चुके हैं। इनके माध्यम से लोगों को लाभान्वित किया गया है व एक नवीन आध्यात्मिक वातावरण पैदा करके लोगों को मानवतापूर्ण जीवन जीने का मार्ग प्रदान किया है।
  2. आपके द्वारा समाज के बीच अब तक सैकड़ों शक्तिचेतना जनजागरण शिविरों का आयोजन करके करोड़ों लोगों को आपसी भाईचारे से परिपूर्ण वातावरण प्रदान किया गया है और सभी को आत्मचेतना जाग्रत् करने का चिन्तन देकर लाखों बिखरते परिवारों को सँवारा गया है।
  3. अब तक आपने तपबल के माध्यम से लाखों आध्यात्मिक भावनावान् लोगों को उनके असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाई है।
  4. आपने साधनात्मक तपबल से माँ भगवती के विशिष्ट अनुष्ठानों को संपन्न करके, एक ऐसे ‘‘शक्तिजल‘‘ का निर्माण करके समाज को निःशुल्क प्रदान किया है, जिसके श्रद्धापूर्वक सेवन से आध्यात्मिक चेतना जाग्रत होती है और यह शरीर की सभी तकलीफों को दूर करने में सहायक है। किसी के ऊपर किये गये जादू-टोना, सम्मोहन व बच्चों को लगी नजर दूर करने में मात्र कुछ बार का सेवन ही पूर्ण प्रभावकारी है। इसके माध्यम से देश-विदेश के कई लाख लोग लाभान्वित हो चुके हैं। यह समाज को निःशुल्क दिया जाता है।
  5. पूज्य गुरुदेव योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज द्वारा अब तक समाज के बीच दिये गये महत्वपूर्ण सैकड़ों प्रवचनों में एक दुर्लभ नवीन आध्यात्मिक चिन्तन प्रदान किया गया है। इनमें धर्म-अधर्म एवं सत्य-असत्य के विषय में पूर्ण मार्गदर्शन है, जो मानव जीवन को सही दिशा प्रदान करने में पूर्ण सहायक है। आपके चिन्तन, साधना की कसौटी में कसे हुये व वर्तमान कलिकाल में सत्य की स्थापना करने में पूर्ण सहायक हैं। ये चिन्तन बड़े-बड़े योगियों एवं सन्तों-ऋषियों के लिए भी बहुमूल्य धरोहर साबित हुये हैं।
  6. आपने समाज को माता भगवती जगत् जननी दुर्गा जी का एक नवीन शक्तिचेतना महामंत्र प्रदान किया है। आज तक लाखों लोगों ने इसे अपनाकर व उसके अखण्ड अनुष्ठानों को पूर्ण करके अपनी चेतना को जाग्रत् किया है और अनेक असाध्य कार्यों को सिद्ध किया है तथा प्रकृति के सूक्ष्म दर्शन भी प्राप्त किये हैं। इस महामंत्र ने समाज के बीच एक नवीन आध्यात्मिक ‘माँ‘मय लहर पैदा कर दी है।
  7. आपने अब तक समाज के लाखों लोगों को निःशुल्क ‘‘चैतन्य गुरुदीक्षा‘‘ प्रदान की है और उन्हें मानवता का मार्ग दिखाकर एक नवीन सामाजिक वातावरण प्रदान किया है।
  8. आपने अब तक अपने चिन्तन, आशीर्वाद, तपबल व प्रयासों से समाज में नशे के आदी करोड़ों लोगों को संकल्पित नशामुक्त जीवन प्रदान किया है।
  9. आपने अब तक करोड़ों परिवारों में माता आदिशक्ति भगवती दुर्गा जी की आरती-पूजन एवं ध्यान-साधना का नियमित क्रम प्रारंभ कराया है और एक ‘माँ’मय आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करके लाखों बिखरते परिवारों को खुशहाली प्रदान की है।
  10. आपने छोटे-छोटे बच्चों को भी अपने साधनात्मक तपबल से आध्यात्मिक जीवन जीने की ओर मोड़ा है।
  11. आपने समाज को विभिन्न समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने हेतु एक विशिष्ट साधना रहस्य उजागर करके ‘‘त्रिशक्ति चेतना महामंत्र‘‘ प्रदान किया है, जो समाज के लिए बहुमूल्य धरोहर है।
  12. आपने अब तक हजारों भविष्यवाणियां की हैं, जो समय के साथ अक्षरशः सत्य सिद्ध हुई हैं। आप अंतरंग योग के माध्यम से भविष्यवाणियाँ करते हैं, जिसके विषय में आपका कहना है कि आपके द्वारा की गई 90 प्रतिशत भविष्यवाणियाँ अक्षरशः सत्य सिद्ध होती हैं। आपने समाज को अवगत कराया है कि 10 प्रतिशत भविष्यवाणियाँ व चिन्तन आप ऐसे ही साथ में जोड़ देते हैं, जिससे समाज आपकी भविष्यवाणियों का दुरुपयोग न कर सके तथा अधर्मी व शंकालु प्रवृत्ति के लोग उन्हीं में उलझकर रह जायें। इससे आपके साधनात्मक जीवन में व्यस्तता नहीं बढ़ेगी।
  13. आपने अपने साधनात्मक तपबल से एक बार मध्यप्रदेश के एक पूरे नगर को उच्चाटन व सम्मोहन साधना से प्रभावित करके अपने तपबल का अहसास समाज को कराया था।
  14. आपने समाज को जातिभेद, छुआछूत तथा साम्प्रदायिकता से हटकर समतापूर्ण सामाजिक जीवन जीने तथा एक नवीन ‘‘योगभारती‘‘ समाज के गठन का चिन्तन दिया है, जिससे जातिपांति व छुआछूत को दूर करके राष्ट्रीय एकता से परिपूर्ण समाज का निर्माण हो सके। इस ‘‘योगभारती‘‘ समाज का चिन्तन लाखों लोगों ने अपनाकर समाज में एक नवीन क्रम का सूत्रपात किया है।
  15. आपके द्वारा दिनांक 15-03-1995 को ‘‘भगवती मानव कल्याण संगठन‘‘ का गठन किया गया तथा उसके माध्यम से अपनी जनकल्याणकारी योजनाओं को पूर्ण करने का निर्णय लिया गया है।
  16. आपने गत दशक में विश्व अध्यात्म जगत् को अपने साधनात्मक यज्ञों व तपबल का चेलैंज दिया था, ‘‘मेरे द्वारा सम्पन्न किये जाने वाले यज्ञों को यदि कोई साधक सम्पन्न करके दिखा देगा या मेरे साधनात्मक तपबल को पराजित कर देगा, तो मैं अपना शीश काटकर उसके चरणों में चढ़ा दूँगा।‘‘ यह चेलैंज किसी गर्व या घमण्ड के वशीभूत होकर नहीं दिया गया था, बल्कि मात्र इसीलिए दिया गया था कि समाज समझ सके ताकि वर्तमान में आध्यात्मिक साधनात्मक तपबल किसके पास है? और वह सत्य को अपनाकर लाभान्वित हो सके। इस चुनौती को अनेक लोगों ने स्वीकार करने का प्रयास किया, मगर वे सभी पूज्य गुरुदेव जी महाराज के साधनात्मक तपबल के आगे, उनके चरणों में नतमस्तक होकर उनका शिष्यत्व स्वीकार करने को बाध्य हुये।
  17. आपने माह अप्रैल 1995 से त्रैमासिक पत्रिका ‘‘सिद्धाश्रम संदेश‘‘ का प्रकाशन करके समाज को एक ऐसी आध्यात्मिक पत्रिका प्रदान की थी, जो समाज को आध्यात्मिक आडम्बरों व भटकावों से दूर रखकर पूर्णत्व प्रदान करने में सक्षम थी। इस पत्रिका के माध्यम से समाज को युग चेतना पुरुष परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के विषय में तथा उनके चिन्तनों, विचारों व भगवती मानव कल्याण संगठन द्वारा किये जा रहे जनकल्याणकारी कार्यों की जानकारियां उपलब्ध करायी जाती थीं। इसके सात अंक प्रकाशित हो चुके थे। बाद में परम पूज्य सद्गुरुदेव जी महाराज ने आश्रम निर्माण आदि की व्यस्तता को ध्यान में रखकर सन् 2007 तक पत्रिका प्रकाशन को स्थगित कर दिया था। अब सन् 2008 से एक नवीन मासिक ‘‘सिद्धाश्रम पत्रिका‘‘ का प्रकाशन हो रहा है, जिसके माध्यम से समाज को महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ व दिशा निर्देशन प्राप्त हो रहे हैं।
    18.आपके द्वारा हजारों लोगों को उनके भावी जीवन में घटने वाली अनेकों दुर्घटनाओं और आने वाली विपत्तियों के विषय में वर्षों पहले से अवगत कराया गया व उनसे मुक्ति दिलाई गई। जिन लोगों ने आपकी बात पर विश्वास नहीं किया, उनके साथ उसी निर्धारित समय पर घटनाएँ घटित र्हुइं, जिनके सैकड़ों प्रमाण अब तक देखने को मिले हैं।
  18. एक स्थान पर बैठकर आपने साधनात्मक तपबल (योगबल) से आपने हजारों मील दूर बैठे अपने सैकड़ों शिष्यों को राजनीतिक, प्रशासनिक व सामाजिक क्षेत्रों में जनकल्याण के लिए जैसा चिन्तन डाला, वैसा स्पष्ट प्रमाण उन क्षेत्रों में समाज को देखने को मिला। ऐसे सैकड़ों प्रमाण समाज को दिये जा चुके हैं। परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज अपने ध्यानयोग के माध्यम से हजारों मील दूर किसी भी क्षेत्र में जनकल्याण से जुड़े कार्यों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन डाल सकते हैं।
  19. आपको माता भगवती से आपको इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त है। समाज के कुछ तांत्रिकों ने आपसे साधनात्मक टकराव को लेकर आपके ऊपर मारण प्रयोग कराये, जिनका पूर्णतः बचाव करके आपने उन प्रयोगों को उल्टा उन्हीं के ऊपर प्रभावित कर दिया। इसके कई प्रमाण समाज को दिये जा चुके हैं, जिससे समाज को स्पष्ट चिन्तन मिला है कि आप समाज में सभी प्रकार की रक्षात्मक स्थिति प्रदान करके अपने शिष्यों को ‘माँ‘मय मार्ग में बढ़ा सकते हैं।
  20. आपके द्वारा मध्य प्रदेश के शहडोल जिले की ब्यौहारी तहसील में एक ऐसे साधना स्थल ‘‘पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम‘‘ का निर्माण किया जा रहा है, जो भविष्य में विश्व अध्यात्म की धर्मधुरी साबित होगा। इस आश्रम का भूमि पूजन दिनांक 23-01-1997 को करने के बाद से सतत निर्माण कार्य व साधनात्मक क्रम जारी हैं।
  21. आपके द्वारा जनकल्याण व आध्यात्मिक वातावरण निर्मित करने के उद्देश्य से पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में अखण्ड श्री दुर्गा चालीसा पाठ दिनांक 15-04-1997 को अनन्तकाल के लिए प्रारम्भ कराया गया, जो सतत दिन-रात चल रहा है। इसकी ऊर्जा जन-जन तक पहुंचाने के लिए अब तक पूरे देश के अनेकों प्रान्तों के जिला, तहसील व ग्राम स्तर पर 24-24 घण्टे के व 5-5 घण्टे के अखण्ड श्री दुर्गा चालीसा पाठ के लाखों सामूहिक अनुष्ठान तथा माता भगवती की आरती के असंख्य सामूहिक क्रम कराये जा चुके हैं और अभी भी जारी हैं।
  22. आपके द्वारा गौसेवा, संवर्द्धन एवं संरक्षण को ध्यान में रखकर पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में ही ’’त्रिशक्ति गौशाला’’ की स्थापना की गई है। इसमें अच्छी नस्ल की सैकड़ों गाये हैं और उनकी सुख-सुविधा की समस्त व्यवस्थायें की गई हैं।
  23. आपने एक नवीन योगभारती विवाह पद्धति प्रदान की है, जिसको सभी प्रकार के आडम्बरों व दहेज प्रथा से मुक्त रखा गया है। प्रथम योगभारती विवाह समारोह पूज्य गुरुदेव जी महाराज ने पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में अपनी उपस्थिति में स्वतः दिनांक 23-04-2000 को सम्पन्न कराया था।
  24. आपके द्वारा पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में ’’निःशुल्क भोजन भंडारे’’ की व्यवस्था की गयी है, जहाँ पर आने वाले सभी जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोगों को समभाव से एक साथ बिठाकर भोजन कराया जाता है।

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