122वां शक्ति चेतना जनजागरण शिविर, सिंगरौली, 08-09 फ़रवरी 2020

शक्ति चेतना जनजागरण शिविर, सिंगरौली में उमड़ा भक्तों का अनुपम प्रवाह

समय-समय पर विभिन्न प्रान्तों, जि़लों में आयोजित शक्ति चेतना जनजागरण शिविर तो समग्र समाज के समग्र उत्थान के लिए हैं। जब लोग पूर्ण नशामुक्त, मांसाहारमुक्त, चरित्रवान् और चेतनावान् होंगे, तभी भारत माता अपने पुत्रों पर गौरवान्वित होंगी। भारत देश को, भारत भूमि को अपनी त्याग-तपस्या से सतयुग की तरह परिचालन हेतु सतत प्रयत्नशील ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के द्वारा समाज को दिए गए चिन्तन निश्चय ही हमारे जीवन को नई दिशा प्रदान करेंगे। आवश्यकता है, तो केवल उन चिन्तनों को आत्मसात करने की। 

ऋषिवर द्वारा मध्यप्रदेश के सिंगरौली जि़ले में (एन.सी.एल. ग्राउण्ड, बिलौजी, बैढऩ) आयोजित शिविर के दोनों दिवस आध्यात्मिक, सामाजिक व व्याप्त राजनीतिक विद्वैष पर अभूतपूर्व चिन्तन प्रदान किए गए। आपश्री के तेजस्वी अमृततुल्य वाणी की प्रतिध्वनि से सम्पूर्ण चर-अचर जगत् पावन हो उठा। 8-9 फरवरी 2020 को सम्पन्न द्विदिवसीय शक्ति चेतना जनजागरण शिविर में देश-देशान्तर से पहुंचे गुरुवरश्री के शिष्य व माता जगदम्बे के भक्तों ने शामिल होकर अलौकिक आनन्द व शांति को प्राप्त किया। गुरुवरश्री के सान्निध्य में लाखों लोगों द्वारा किए गए शंखनाद की ध्वनि से वातावरण तरंगित हो उठा और नूतनयुग के आगमन का संकेत मिलने लगा।

दिनांक 07 फरवरी 2020 की प्रात:कालीन बेला, आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की स्तुति के उपरान्त, ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज जैसे ही मध्यप्रदेश के रीवा संभाग के सिंगरौली जि़ले के लिए पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम से प्रस्थित हुये, आश्रमवासियों व भक्तों के जयकारों और शंखध्वनि से वातावरण गुंजायमान हो उठा। गुरुवरश्री के वाहन के पीछे पूजनीया माता जी और शक्तिस्वरूपा बहनों के वाहन चल रहे थे और उनके पीछे कई वाहनों में शिष्यगण चल रहे थे। जबकि सबसे आगे दिशानिर्देशक वाहन और कुछ मोटरसाइकिलों में भगवती मानव कल्याण संगठन के पदाधिकारी व कार्यकर्ता, नशामुक्ति सद्भावना जनजागरण यात्रा की अगुआई कर रहे थे।

वाहन से ही आश्रमवासियों को आशीर्वाद प्रदान करते हुये सद्गुरुदेव भगवान् सर्वप्रथम पूज्य दण्डी संन्यासी स्वामी श्री रामप्रसाद आश्रम जी महाराज की समाधिस्थल पर गये, पश्चात् त्रिशक्ति गौशाला पहुंचे, जहां उन्हें नमन् करने के लिये द्वार पर फूलों से आच्छादित तोरणद्वार सजाए गोसेवक कतारबद्ध जयकारे लगाते व शंखध्वनि करते हुये खड़े थे, इन्हें आपश्री ने आशीर्वाद प्रदान किया।

 सद्भावना यात्रा सिद्धाश्रम के मुख्य मार्ग से होते हुए ब्यौहारी की ओर आगे बढ़ी। बीच में खामडांड़ पंचायत की सरपंच व अनेकों ग्रामवासियों ने परम पूज्य गुरुवरश्री को हाथ जोडक़र नमन किया। सद्भावना यात्रा ब्यौहारी तिराहे से सीधी जि़ला मार्ग पर आगे बढ़ी और बगदरी चौराहा व पसगढ़ी तिराहा होते हुए बनास नदी पहुँची। यहाँ से शहडोल जि़ले की सीमा समाप्त हुई और सीधी जि़ला प्रारम्भ हुआ।

परम पूज्य गुरुवरश्री की यात्रा का आभास पाकर ग्रामीण व नगरीय क्षेत्रों में स्थान-स्थान पर शिष्यों-भक्तों द्वारा स्वागतद्वार सजाये गये थे। स्वागतद्वार के दोनों ओर आरती की थाल सजाये खड़े भक्तों की आतुरता देखते ही बनती थी। महिलाओं के हाथों में दीप प्रज्ज्वलित कलश सुशोभित हो रहे थे।

सद्भावना यात्रा ग्राम चमराडोल, परसिली रिसॉर्ट चौराहा पहुँची। यहाँ पर ‘माँ’-गुरुवर के जयकारों व शंखध्वनि से समूचा क्षेत्र गूँज रहा था। मार्ग के दोनों ओर गुरुभाई-बहनों, ‘माँ’ के भक्त व अनुशासनपूर्वक खड़े बच्चों के चेहरों पर अपार प्रसन्नता झलक रही थी। ग्राम चुवाही, मझौली मोड़ पर भक्तों ने शंखध्वनि व जयकारों के साथ परम पूज्य गुरुवरश्री को नमन् किया। यात्रा के स्वागतार्थ गोलाकार भव्य द्वारा बनाया गया था। स्वागतद्वार के बाईं ओर ग्रामीण महिलाएं व बालिकाएं दीपकलश व आरती की थाल लिए जयकारे लगाते हुए खड़ी थीं, जबकि दाहिनी ओर अपने आराध्य के वाहन पर पुष्पार्पण करते भक्त। अत्यन्त ही मनोरम दृश्य था।

मझौली में तो भक्तों की भारी भीड़ थी, सभी ने अनुशासनपूर्वक सडक़ मार्ग के किनारे शृंखलाबद्ध खड़े होकर परम पूज्य गुरुवरश्री का दर्शनलाभ प्राप्त किया। महिलाओं और बच्चों में तो अभूतपूर्व उत्साह परिलक्षित था। महिलाओं और छोटी-छोटी बच्चियों ने दीपकलश और आरती की थाल लेकर यात्रा की अगवानी की, जबकि सद्गुरुदेव जी महाराज के स्वागत में बैण्ड बाजे की स्वरलहरियां चहुँओर बिखर रहीं थीं। अरे, यह स्वागत तो मझौली के प्रवेशद्वार का था, यही दृश्य ग्राम में अनेक स्थानों पर देखने को मिला। पूरे मझौली को रंग-बिरंगे कपड़ों व गुब्बारों से सजाया गया था। मझौली में भक्तों ने सद्भावनायात्रियों को मगज के लड्डू और आलूबड़ा वितरित किया।

यहां से आगे-आगे मोटरसाइकिलों की कतार के पीछे सद्भावना यात्रा खरौड़ा बाजार, ग्राम डांगा, खरौड़ा होते हुए जोगी पहाड़ी पहुँची। सभी स्थानों पर हज़ारों भक्त मार्ग के दोनों ओर कतारबद्ध खड़े ‘माँ’-गुरुवर के जयकारे लगाने के साथ ही पुष्पवर्षा कर रहे थे। महिला भक्तों एवं बच्चियों के हाथ में नारियलयुक्त कलश और पुरुषों व बच्चों के हाथों में शक्तिदण्डध्वज। सुसज्जित स्वागतद्वारों की अलग ही छटा थी। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने सभी शिष्यों-भक्तों को आशीर्वाद प्रदान किया। ग्राम मड़वास में भी यात्रा की भव्य अगवानी की गई। शहनाई व गुदुम की धुन के साथ थिरकते ग्रामवासी, उनकी प्रसन्नता के आधिक्य का अनुमान लगाना कठिन था। ग्राम मझिगवाँ, हिनौता, महखोर व टिकरी में भी सद्भावना यात्रा का स्वागत जयकारों, शंखध्वनि, दीपकलश और बैण्डबाजे की धुन के साथ किया गया। आरएनएस मेमोरियल पब्लिक स्कूल, टिकरी के छात्र-छात्राओं ने कतारबद्ध खड़े होकर हाथ जोडक़र गुरुदेव जी महाराज को नमन किया। आज के बच्चे ही कल देश का भविष्य बनेंगे और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अब युग परिवर्तन में देर नहीं लगेगी, क्योंकि परम पूज्य गुरुवरश्री् की चेतनातरंगें बच्चों को अपने प्रभाव में ले रही हैं। ग्राम टिकरी के भक्तों ने सद्भावनायात्रियों को फल वितरित करके भक्तिभाव का परिचय दिया।

नशामुक्ति सद्भावना जनजागरण यात्रा गोपद नदी को पार करते हुए ग्राम निगरी पहुँची और यहाँ से सिंगरौली जि़ला प्रारम्भ हुआ। निगरी बाजार में पुष्प बिखेरकर यात्रा का स्वागत किया गया। निवास बाजार में शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के बच्चे परम पूज्य गुरुवरश्री के दर्शनार्थ करबद्ध खड़े थे। ग्राम्यजन माँ-गुरुवर के जयकारे लगाते हुए गुरुवरश्री के वाहन को छूकर ही तृप्त हो रहे थे। यात्रा महुआगाँव, महुआ बाजार, रजनिया व ग्राम धौहनी व बरका तिराहा व गोड़बहरा तिराहा होते हुए सरई पहुँची। इन सभी स्थानों पर हज़ारों लोगों ने यात्रा की भव्य अगवानी की और परम पूज्य गुरुवरश्री को नमन करके आशीर्वाद प्राप्त किया। सरई में तो जनसमूह उमड़ पड़ा था। भव्यतम रूप में गोलाकार स्वागतद्वार बनाया गया था, सडक़ मार्ग के किनारे फूलों व रंगों से सुन्दर रंगोली बनाई गई थी। जयकारों, शंखध्वनि और बैण्ड बाजे की धुन से समूचा क्षेत्र गुंजायमान रहा। गजरा बहरा, गढ़ाखांड़ बाजार, रजमिलान व खुटार बाजार में भी हज़ारों गुरुभाई-बहनों और ग्रामवासियों ने जयकारों के साथ यात्रा की अगवानी करते हुए सद्गुरुदेव जी महाराज को नमन किया।

सद्भावना यात्रा ने सिंगरौली जि़ला मुख्यालय बैढऩ में प्रवेश किया। माजन मोड़ पर सिंगरौली जि़ले के भक्तों व गुरुभाई-बहनों ने आकर्षक स्वागतद्वार का निर्माण किया था। यहाँ से माँ-गुरुवर के जयकारों व शंखध्वनि का जो सिलसिला प्रारम्भ हुआ, वह गुरुआवास (सिंगरौली पैलेस, हैरिटेज हॉटल) पर समाप्त हुआ। यहाँ पर गुरुवरश्री ने सभी शिष्यों-भक्तों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।

 माता आदिशक्ति जगज्जननी जगदम्बा और ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के प्रति भक्तों का अभूतपूर्व प्रेम व श्रद्धा मध्यप्रदेश के सिंगरौली जि़ले में (एन.सी.एल. ग्राउण्ड, बिजौली, बैढऩ) 8-9 फरवरी को दृष्टव्य हुआ। लाखों की संख्या में नर, नारी, बालक, बालिकाएं, सद्गुरुदेव भगवान् के शिष्य, ‘माँ’ के भक्त शंख व शक्तिदण्डध्वज लिये हुए, भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित शक्ति चेतना जनजागरण शिविर के दोनों दिवस, पंडाल की ओर अनुशासनपूर्वक कदम से कदम मिलाते हुये पहुँचे। शिविर पंडाल में नशामुक्त, मांसाहारमुक्त व चरित्रवान् साधक जिस क्रम से पहुंचते, संगठन के  कार्यकर्ताओं द्वारा दी गई व्यवस्था के अनुरूप पंक्तिबद्ध रूप से बैठते चले गये।

मंच के शीर्ष में शक्ति की प्रतिरूप माता महाकाली का छायांकन और बांयी ओर ॐ शब्द के ऊपर दिव्य कलश और दाहिनी ओर ‘माँ’ शब्द के ऊपर ‘माँ’ और गुरुवर की संयुक्त ऊर्जात्मक छवि के समक्ष प्रज्ज्वलित अखण्ड ज्योति से प्रवाहित तरंगें वातावरण को पवित्र बना रहीं थीं।

मंच के समक्ष शिविर पंडाल में अनुशासित ढंग से पंक्तिबद्ध बैठे हुये लाखों भक्तों की आतुरता देखते ही बनती थी, कि तभी अपराह्न 2.05 बजे धर्मसम्राट् युग चेतना पुरुष सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज का आगमन भक्तों को शीतलता प्रदान करता चला गया। गुरुवरश्री के आगमन के साथ ही शंखध्वनि व तालियों की गडग़ड़ाहट से समूचा क्षेत्र गुंजायमान हो उठा। शिविर में उपस्थित जनसमुदाय को आशीर्वाद प्रदान करके सद्गुरुदेव जी महाराज मंचासीन हुए।

परम पूज्य गुरुवरश्री के मंचासीन होते ही शक्तिस्वरूपा बहन पूजा, संध्या और ज्योति दीदी जी ने उपस्थित समस्त भक्तों की ओर से पद-प्रक्षालन के बाद पुष्प समर्पित किया। उस समय का दृश्य अत्यन्त ही मनभावन था। चरण वन्दन के पश्चात् गीत-संगीत की प्रतिभा के धनी भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ताओं ने भावसुमन प्रस्तुत किये, जिसके कुछ अंश इस प्रकार हैं- जिसने बनाई है दुनिया, उसी की दुनिया चला रहे हैं: वीरेन्द्र दीक्षित जी, दतिया (म.प्र.)। तन-मन-धन सब मानवता के हित अर्पित करना सीखो, अगर चाहते हित अपना औरों का हित करना सीखो : शक्तिस्वरूपा बहन संध्या शुक्ला जी, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम (म.प्र.)।  माँभक्ति में भवमुक्ति है, यह ज्ञान कराने वाले तुम….: बाबूलाल विश्वकर्मा जी, दमोह (म.प्र.)।

भावगीतों की शृंखला समाप्त होते ही समाजकल्याण के प्रति समर्पित ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज के श्रीमुख से ‘माँ’ की स्तुति प्रवाहित हो उठती है।

‘‘माता स्वरूपम् माता स्वरूपम्, देवी स्वरूपम् देवी स्वरूपम्। प्रकृति स्वरूपम् प्रकृति स्वरूपम्, प्रणम्यम्, प्रणम्यम्, प्रणम्यम्, प्रणम्यम्।।’’

करुणा के सागर सद्गुरुदेव भगवान् अपने चेतनाअंशों, ‘माँ’ के भक्तों और उपस्थित जनसमुदाय को आशीर्वाद प्रदान करते हुये कहते हैं कि-

शक्तिसाधकों का यह समागम अद्भुत है, अकल्पनीय है। जब एक विचारधारा और एक लक्ष्य पर बढऩे वाले एक स्थान पर उपस्थित होते हैं, तो विशेष ऊर्जा का संचार होता है। माता आदिशक्ति जगत् जननी के नाम का सम्बोधन ही हमें बहुत कुछ ज्ञान करा देता है।

हर मनुष्य यह जानना चाहता है कि प्रत्येक मनुष्य के कत्र्तव्य क्या होते हैं? तो वह तीन कत्र्तव्य हैं- धर्म की रक्षा, मानवता की सेवा और राष्ट्र की रक्षा। यह तीन धाराएं त्रिवेणी के समान हैं, जो हमें कर्म, भक्ति और ज्ञान के द्वारा जगजननी से जोड़ती हैं। धर्मरक्षा से तात्पर्य है- हम जिस धर्म के अनुयायी हैं, उस धर्म को पूर्णत्व के साथ धारण करें और जितना स्वयं के धर्म का सम्मान करते हैं, उतना ही दूसरों के धर्म का सम्मान करें। धर्म कभी गलत नहीं होते, हाँ उनके अनुयायी, धर्माचार्य गलत हो सकते हैं। हर धर्म हमें सत्यपथ पर चलना सिखाते हैं, दुराचरण से दूर रहने के लिए प्रेरित करते हैं। धर्म से नहीं, बल्कि धर्माधिकारियों से खतरा हो सकता है। धर्म की व्यापकता को, धर्म की गहराई को न तो कोई नाप सका है और न कोई नाप सकेगा। अत: धर्म को सही मायने में धारण करें।

मानवता की सेवा करना हर मनुष्य का कत्र्तव्य है। यदि वास्तव में हम धर्म को धारण करते हैं, तो मानवता की सेवा को भी धारण करना पड़ेगा। उस परमसत्ता की एक-एक कृति के प्रति अपने कत्र्तव्य व दायित्व का निर्वहन करना है। हर मनुष्य का कत्र्तव्य बनता है कि मानवता की सेवा पूर्ण क्षमता के साथ करे। इसी प्रकार राष्ट्ररक्षा के अन्तर्गत हम जिस राष्ट्र में रहते हैं, जिस राष्ट्र का अन्न, जल ग्रहण कर रहे हैं, उस राष्ट्र की रक्षा करना हर मनुष्य का कत्र्तव्य है। यदि इसके लिए अपना सब कुछ समर्पित करना पड़े, तो कर दें, क्योंकि जब राष्ट्र रहेगा, तभी हम रहेंगे।

आपश्री कहते हैं कि ‘माँ’ को ज्ञानी बनकर नहीं पाया जा सकता, एक प्रेमी बनना पड़ेगा, एक अबोध शिशु बनना पड़ेगा। शिशु की तरह ‘माँ’ से एकाकार होने का भाव। जो बच्चा चलना, बैठना, बोलना नहीं जानता, वह सब माता-पिता सिखाते हैं और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। उसी तरह जगजननी की ममता देखो, उसने जीवन संचालन के लिए हमें क्या कुछ नहीं दिया है! जिस तरह एक बच्चा निश्छल भाव से अपनी माँ से प्रेम करता है, उसी तहर जगजननी से निश्छल प्रेम करना सीखो। अतिविशेष सामथ्र्य माता ने सुषुम्ना नाड़ी के माध्यम से आपको दे रखी है। ‘माँ’ ने क्या नहीं दिया है आपको?  ‘माँ’ ने वह दिया है, जो इस निखिल ब्रह्मांड में कोई दे ही नहीं सकता। इसके बाद भी मनुष्य दीन-हीन क्यों? क्योंकि वह आलसी और अकर्मण्य बन गया है।

ज्ञानियों ने वही सिखाया है, जो वे धर्मग्रन्थों में पढ़ते गए और उसी रटन्त विद्या को बाँटते गए। यदि वे रटन्तज्ञानी आत्मग्रंथ का अध्ययन करते, तो समाज को मानवता की दिशा में आगे बढ़ाते। रामायण, गीता, पुराण, उपनिषद को रट डाला और सुना दिया। सच्चा ज्ञानी वह होता है, जो धर्मग्रन्थों से प्राप्त ज्ञान का अमल स्वयं पर करे। ज्ञानी तो एक शराबी, व्यसनी, जुआरी भी हो सकता है, लेकिन वह आत्मज्ञानी नहीं हो सकता। एक आत्मज्ञानी शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना कर दी, लेकिन आज 65 शंकराचार्य हैं, जो ज्ञानी तो हैं, लेकिन आत्मज्ञानी नहीं बन पाए। वे आज भी छुआछूत, ऊँच-नीच, जातपात को मानते हैं। अरे, हम जगजननी के अंश हैं, क्या हमारा धर्म यही सिखाता है कि मानव, मानव से भेद करे! मेरा धर्म तो कभी नष्ट नहीं हुआ, जबकि मैं सभी जाति, धर्म के लोगों के हाथ का बना हुआ भोजन कर लेता हूँ। यदि हमारे धर्माचार्यों में मानवता होती, तो आज हमारा देश बहुत आगे बढ़ गया होता।

संघर्ष करो अपने आपसे और अपनी कमजोरियों से, अन्यथा यह जड़ शरीर आपका अस्तित्व समाप्त कर देगा। जब तुम आत्मावानों की तरह जीवन जीना शुरू कर दोगे, तो यह जड़ शरीर भी तुम्हारे साथ दौड़ेगा। केवल एक सत्य को समझ जाओ कि आपकी आत्मा की जननी आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा हैं और वे हमारी इष्ट हैं। बड़ी-बड़ी कथाएं सुनने से कुछ नहीं मिलेगा, इसीलिए मैंने कहा है कि ‘‘ठहरो, सोचो, सम्हलो और सतकर्म करो। भौतिकता की अंधी दौड़ में मत दौड़ो, अन्यथा पतन की गहरी खाई में गिरकर अपना अस्तित्त्व समाप्त कर लोगे।’’ पहले ठहरो, फिर सोचो।

अभी समाज का पतन इतना नहीं हुआ कि वह सम्हल न सके। सम्हलने के लिए जगजननी का सहारा ले लो और सतकर्म करो। जीवन को अच्छा और बुरा बनाने के लिए सतकर्म और दुष्कर्म, ये दो ही रास्ते हैं। अब आपको यह सोचना है कि आपको किस रास्ते पर जाना है? सत्य की राह पकड़ो, अन्यथा पतन सुनिश्चित है। क्या अपने विवेक को इतना भी जाग्रत् नहीं करोगे कि अच्छाई-बुराई का आकलन कर सको। जिस धन-सम्पदा के लिए दौड़े जा रहे हो, तो अरबों-खरबों की सम्पदा वाले भी अशान्त हैं। जिस मानवजीवन को पाने के लिए देवाधिदेव भी तरसते हैं, उसे पाकर भी व्यर्थ नष्ट कर रहे हो। जबकि, भौतिक सामथ्र्य यहीं धरी रह जायेगी। देवता भौतिकता के  लिए नहीं तरसते, बल्कि उस पुरुषार्थ के लिए तरसते हैं, जो कि मानवजीवन प्राप्त करने पर ही प्राप्त हो सकता है। मानवजीवन प्राप्त करके ही ऋषित्व का पथ प्राप्त किया जा सकता है। अत: गलत रास्ते से अपने आपको हटा लोगे, तो दिव्य बनते चले जाओ। भिखारी नहीं, बल्कि दाता बनना सीखो और अपने कत्र्तव्य को पहचानो।

अन्धकार का कोई अस्तित्त्व नहीं होता है। अस्तित्त्व होता है, तो प्रकाश का। अन्धकार वहीं है, जहाँ प्रकाश नहीं है और अन्धकार प्रकाश के अस्तित्त्व को समाप्त नहीं कर सकता, जबकि प्रकाश की एक किरण अंधकार को समाप्त कर सकती है। अन्धकार क्या है? तुम्हारे कुविचार। जो भी विपत्ति आती है, उसके जिम्मेदार तुम स्वयं हो। ऋषियों-मुनियों ने कहा है कि जो जैसा कर्म करेगा, वैसा ही फल पायेगा। ठीक ही तो कहा गया है और जो बोया है, वही तो काट रहे हो, अच्छा बोते तो अच्छा काटते। यह सोचना मूर्खता है कि तुम्हारे कुकृत्य को कोई देख नहीं रहा है। अरे, आत्मा के रूप में सुपरकम्प्यूटर तुम्हारे अन्दर बैठा हुआ है और उसमें सभी कर्मों का लेखा-जोखा रहता है तथा उसी के अनुरूप तुम्हें फल मिलता चला जाता है। अत: ‘आत्मा की अमरता और कर्म की प्रधानता’ पर गहराई से ध्यान दो।

आत्मा की अमरता, कर्म की प्रधानता, गुरु की अनिवार्यता और जगत् जननी की स्वीकार्यता, यही मानवजीवन की मधुरता का मूल मंत्र है। यदि वास्तव में उत्कृष्ट जीवन चाहते हो, तो गुरु की अनिवार्यता हो, क्योंकि एक सद्गुरु ही आपको मार्गदर्शन दे सकता है। जिसके जीवन में सद्गुरु नहीं होता, उसका पतन सुनिश्चित है। यदि गुरुओं की परम्परा नहीं होती, तो यदि पशुओं के बीच तुम्हें डाल दिया जाए, तो पशुओं की तरह ही आचरण करते। बस आशाराम, रामपाल, रामरहीम जैसे गुरु न हों। इसीलिए कहा जाता है कि ठहरो, सोचो और सम्हलकर कार्य करो। जो यह कहते हैं कि वे देवी-देवताओं को नहीं मानते, वे नास्तिक हैं, अज्ञानी हैं। आस्तिकता को सही मायने में समझो, वह हर पल ऊर्जा देती है, बस ढोंगी और पाखंडी मत बनो। धर्म हमें पुरुषार्थी बनाता है। हमारे ऋषि-मुनि आलसी और अकर्मण्य नहीं थे, बल्कि ज्ञानवान, पुरुषार्थी और कर्मवान थे। आज जहाँ तक विज्ञान नहीं पहुँच सका है, वहाँ तक ऋषि-मुनि पहुँच चुके थे। धर्म के बिना तो किसी का अस्तित्त्व ही नहीं है और धर्मविहीन व्यक्ति राक्षसीवृत्ति की ओर बढ़ता चला जाता है। अत: धर्म को स्वीकार करो और जगजननी की स्वीकार्यता, यदि हर पल बनी हुई है, तो मनुष्य कभी भटक नहीं सकता।

मैं विज्ञान को चुनौती देता हूँ कि आओ और मेरे तपबल की शक्ति का परीक्षण करो। मुझे ध्यान की गहराई में डूबने हेतु केवल एक पल लगता है। तुम्हारे अन्दर जो सात चक्र हैं, उनकी शक्ति को समझो, तब लगेगा कि परमसत्ता ने तो हमें इतना बड़ा साम्राज्य दे रखा है, फिर भी भिखारियों की तरह जीवन जी रहे हैं। अपने बच्चों को धनवान नहीं, बल्कि धर्मवान बनाओ और यदि धर्मवान बनाओगे, तो उनका जीवन समुज्ज्वल होगा। लेकिन यदि केवल धनवान बना दिया, तो वे दुराचारी बन सकते हैं।

हिन्दू धर्म का महत्त्व क्या है? उस पर गर्व करो, लेकिन दूसरों के धर्म को भी उतना ही सम्मान दो। हमारा भगवती मानव कल्याण संगठन हमेशा सत्य का साथ देता है और असत्य का हमेशा विरोध करता है। इस्लाम धर्म को मानने वाले भी मेरे सैकड़ों शिष्य हैं, वे सत्यपथ पर चल रहे हैं और शक्तिजल का पान करते हैं। इस्लाम धर्म कभी आतंकवादी नहीं बनाता, हिन्दू धर्म कभी आतंकवादी नहीं बनाता, बल्कि धर्म हमें चेतनावान् बनाते हैं। आतंकवादी बनाते हैं तथाकथित धर्माधिकारी।

आठ सौ वर्ष तक भारत में इस्लाम के नाम पर शासन करने वाले हिन्दुत्व को मिटा नहीं सके और यदि आठ हज़ार वर्ष तक शासन रहता, तो भी नहीं मिटा सकते थे। हिन्दू धर्म था, है और रहेगा। इस्लामिक स्टेट का सपना देखने वाले भारत के प्रति अपने विचार बदल दें, क्योंकि यहाँ गंगा, यमुना, त्रिवेणी, काशी, मथुरा और वेद-पुराण, हिन्दू धर्म की विराटता का ज्ञान कराते हैं। इस ज्ञान को तोडऩे की ताकत किसी में नहीं है। ओवैसी जैसे लोग यदि अब भी नहीं समझे, तो अपना अस्तित्त्व समाप्त कर लेंगेे। समाज बदल रहा है और जो रुकावट बनेगा, वह मिट जायेगा। हमारा हिन्दू धर्म इतना महान है कि जहाँ एक भी मुस्लिम को कष्ट होगा, तो दस हिन्दू परिवार उसके कष्ट के निवारण हेतु खड़े हो जायेंगे, भले ही वे चाहे जो कहते हों।

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध क्यों हो रहा है? स्वार्थी नेताओं के बहकावे में आकर और अज्ञानता की वजह से। आपस में बैठकर समझ लो, समाज में ज़हर मत घोलो। सरकार को भी समझना चाहिए कि जो घुसपैठिये आ गए हैं, उन्हें भी नागरिकता दे दो और यदि वे आतंकी बनेंगे, तो सेना की गोली का शिकार बनेंगे। भारत बदल रहा है, हमें स्वयं को बदलना होगा। हमारी आध्यात्मिक विरासत इतनी कमजोर नहीं है। अंधकार कभी भी प्रकाश पर भारी नहीं पड़ सकता।

आक्रोश है उन धर्माचार्यों पर, आक्रोश है उन सरकारों पर, जो समाजविरोधी कार्य कर रहे हैं, नशे का व्यवसाय कर रहे हैं। यदि एक परिवार में एक व्यक्ति शराबी होजाए, तो पूरे परिवार की सुख-शान्ति भंग होजाती है। आज प्राय: जितनी भी दुर्घटनाएं हो रही हैं, उसका कारण शराब है, नशा है। वास्तव में जो राजसत्ताएं शराब के ठेके उठवा रही हैं, वे देशद्रोही हैं। मैं हर उस सरकार का विरोधी हूँ, जो जनविरोधी कार्य कर रही हैं।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को चेतावनी देते हुए ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने कहा कि संभल जाओ, शराब के ठेके खुलवाना यदि तुम्हारे हाथ में है, तो सत्ता में नहीं रहोगे, यह मेरे हाथ में है। यदि शराब के ठेके बन्द कर दोगे, तो 10 वर्ष तक राज करोगे। जनता अपने पुरुषार्थ के बल पर अपना विकास कर लेगी, बस तुम शराब के ठेके बन्द कर दो, चाहे इसके लिए आधी योजनाएं बन्द करनी पड़े। जो राजसत्ताएं जनता को शराबी बनाएं, उन्हें सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि कांग्रेस पार्टी बहुत गलत रास्ते पर जा रही है। देश के वीर सावरकर जैसे त्यागी पुरुषों का अपमान उसे बहुत मंहगा पड़ सकता है।

ऋषिवर के प्रथम दिवस के अमृततुल्य चिंतन के उपरान्त, शिविर में उपस्थित जनसमुदाय ने दोनों हाथ उठाकर संकल्प लिया कि नशे-मांस से मुक्त चरित्रवान् जीवन जिएंगे तथा मानवता की सेवा, धर्मरक्षा व राष्ट्ररक्षा के कत्र्तव्य का आजीवन निर्वहन करेंगे। शादी से पहले ब्रह्मचर्य व्रत का पालन और शादी के बाद एक पति/एक पत्नी धर्म का पालन करेंगे।

आरतीक्रम के पश्चात् सभी ने क्रमबद्ध रूप से एक-एक करके परम पूज्य गुरुवरश्री को नमन करते हुए प्रसाद प्राप्त किया।

धर्म की रक्षा के लिए एक बार पुन: शक्तिपरीक्षण की चुनौती

 ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने एक बार पुन: विश्व के समस्त धर्माचार्यों को शक्तिपरीक्षण के लिये चुनौती दी। आपश्री ने कहा कि धर्मसम्मेलन आयोजित करके, उपस्थित जनसमुदाय के समक्ष यह सिद्ध करें कि सत्यधर्म के प्रति उनमें कितनी क्षमता है? क्या वे ध्यान में जाकर अपने आपको विचारशून्य कर सकते हैं? उनकी कुण्डलिनीशक्ति जाग्रत् है या नहीं? इस बात का परीक्षण विज्ञान भी कर सकता है। परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा कि मैं किसी भी धर्मगुरु या शंकराचार्यों का विरोध नहीं कर रहा, लेकिन वे भौतिकता के फेर में उलझकर अपनी शक्तियों को नष्ट कर चुके हैं, जिसे समाजहित में जाग्रत् करना आवश्यक है। यदि वास्तव में उनके अन्दर की शक्तियां जाग्रत् हैं, तो जनआस्था के लिए एक बार शक्तिपरीक्षण अवश्य कराएं।  

द्वितीय दिवस 09 फरवरी का प्रथम सत्र

05 हज़ार से अधिक नए भक्तों ने ली गुरुदीक्षा

 शिविर के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में 07.30 बजे से गुरुदीक्षा का क्रम प्रारम्भ हुआ। सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने दीक्षा प्रदान करने से पूर्व उपस्थित सभी नये भक्तों से कहा कि-

मानवजीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण क्षण वह होता है, जब शिष्य किसी सद्गुरु से दीक्षा प्राप्त कर रहा होता है। यह वह पावन क्षण है, जब मनुष्य बुराईयों को छोडक़र अच्छाईयों की ओर गमन करता है। गुरु के मार्गदर्शन में चलना बहुत आसान होता है। इसके लिए इच्छाशक्ति प्रबल होनी चाहिए। गुरु के मार्गदर्शन पर चलने से आपका पतन रुक सकता है। दीक्षा प्राप्त करके, जो भी क्रम यहाँ बताए जायेंगे, उनका पालन करोगे, तो आपकी समस्त दुश्चिंताएं दूर होंगी।

 गुरुवरश्री ने नित्य साधना के मंत्रों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भले ही इन मन्त्रों को कई बार आपने सुना है, लेकिन जब गुरु द्वारा मन्त्र प्रदान किया जाता है, तो वे मन्त्र उत्कीलित होजाते हैं। आप लोगों को नित्य शुद्धता का ध्यान रखना है। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि पूजन करते समय किसी भी छवि को पहले गीले कपड़े से पोछकर कुंकुम का तिलक लगा सकते हैं। भ्रान्ति से ऊपर उठें और यह न सोचें कि पहले किस छवि को तिलक लगाएं, कहीं कोई नाराज़ न हो जाए। देवी-देवताओं में कोई भेदभाव नहीं होता, सभी सूक्ष्म शक्तियां हैं। पूजन करते समय शुद्ध घी न होने पर जो भी तेल आप उपयोग करते हैं, उससे दीपक जला सकते हैं और यदि तेल नहीं है, तो अगरबत्ती जलाकर पूजन कर लें और यदि इसका भी अभाव हो, तो हाथ जोडक़र पूजन कर सकते हैं।

 सद्गुरुदेव जी ने सहायक शक्तियों हनुमान जी, भैरव जी एवं गणेश जी के मन्त्रों के साथ चेतनामन्त्र ‘ॐ जगदम्बिके दुर्गायै नम:’ और गुरुमन्त्र ‘ॐ शक्तिपुत्राय गुरुभ्यो नम:’ प्रदान करते हुये कहा कि मैं सभी को मन, वचन, कर्म से शिष्य रूप में स्वीकार करता हूँ।

दीक्षा ग्रहण करने के पूर्व, शिष्यों ने संकल्प लिया कि ‘मैं…आज इस साधनात्मक शक्ति चेतना जनजागरण शिविर में मन-वचन-कर्म से दृश्य एवं अदृश्य जगत् की समस्त शक्तियों, दसों दिशाओं, पंचतत्त्वों तथा उपस्थित जनसमुदाय को साक्षी मानते हुए संकल्प करता/करती हूँ कि मैं बह्मर्षि धर्मसम्राट् युग चेतना पुरुष सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज को अपना धर्मगुरु स्वीकार करता/करती हँू। परम पूज्य सद्गुरुदेव जी को साक्षी मानकर संकल्प करता/करती हूँ कि मैं जीवनपर्यन्त नशा-मांसाहारमुक्त व चरित्रवान् जीवन जीने के साथ ही परम पूज्य सद्गुरुदेव जी के हर आदेश का पूर्णतया पालन करूंगा/करूंगी तथा गुरुदेव जी के द्वारा मानवता की सेवा, धर्मरक्षा एवं राष्ट्ररक्षा के लिए प्रदत्त तीनों धाराओं के प्रति पूर्णरूपेण समर्पित रहते हुए तीनों धाराओं से मिलने वाले हर आदेश का पालन करूंगा/करूंगी। मैं भगवती मानव कल्याण संगठन के नियमों-निर्देंशों का पालन करने के साथ ही भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम के प्रति तन-मन-धन से पूर्णतया समर्पित रहूँगा/रहूँगी एवं संगठन के जनकल्याणकारी कार्यों में अपनी पूर्ण क्षमता के साथ सहभागी बनूँगा/बनूँगी।’

नये शिष्यों द्वारा संकल्प लिए जाने के बाद परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा कि संकल्पों का पालन करते हुए नित्यप्रति मन्त्रों का जाप करें। अन्त में सभी नये शिष्यों ने सद्गुरुदेव जी महाराज को श्रद्धाभाव से नमन करते हुये विघ्रविनाशक शक्तिजल प्राप्त किया।

शिविर के द्वितीय व अन्तिम दिवस का द्वितीय सत्र

अपराह्न 02 बजे गुरुवरश्री के आगमन के साथ ही जयकारों व शंखध्वनि से समूचा वातावरण सुवासित हो उठा। शिविर में उपस्थित जनसमुदाय को आशीर्वाद प्रदान करके सद्गुरुदेव जी महाराज मंचासीन हुए।

परम पूज्य गुरुवरश्री के मंचासीन होते ही शक्तिस्वरूपा बहन पूजा, संध्या और ज्योति दीदी जी ने प्रथम दिवस की तरह उपस्थित समस्त भक्तों की ओर से पदप्रक्षालन के बाद पुष्प समर्पित किया। चरण वन्दन के पश्चात् माँ-गुरुवर की चरणों में भावसुमन प्रस्तुत करने का क्रम प्रारम्भ हुआ, जिसके प्रारम्भिक अंश इस प्रकार हैं-

जीना है तो पापा शराब मत पीना…: वीरेन्द्र दीक्षित जी, दतिया (म.प्र.)। मइया जग की माँ, वो बसी हैं देखो कण-कण में…: प्रतीक मिश्रा जी, कानपुर (उ.प्र.)। जाति, धर्म के भेद भुलाकर होकर मुक्त विकारों से, आओ सजा लो जीवन अपना सद्कर्म संस्कारों से : शक्तिस्वरूपा बहन संध्या शुक्ला जी, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम (म.प्र.)।  

भावगीतों का क्रम समाप्त होने के पश्चात् सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज, शिविर में उपस्थित जनसमुदाय को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहते हैं कि-

श्री दुर्गासप्तशती में उल्लेख है कि एक रक्तबीज था और उसके रक्त की जितनी बूँदें गिरती थीं, उतने राक्षस पैदा होजाते थे। तो क्या हम उतने शक्तिसाधक नहीं बना सकते? अध्यात्म के बल पर, चेतनातरंगों के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है और मैंने वही किया। लाखों शक्तिसाधक बना दिये गए हैं। मैंने महाशक्तियज्ञ प्रारम्भ करने से पहले कहा था कि यदि मेरे 108 महाशक्तियज्ञों की शृंखला के आठ यज्ञ जो समाज के बीच होने हैं, यदि उनमें से एक भी यज्ञ में बरसात नहीं हुई, तो मैं समझूँगा कि मेरी साधना अभी अपूर्ण है। लेकिन आठों यज्ञों में बरसात हुई। इतना ही नहीं, यज्ञ की ऊर्जा के माध्यम से असाध्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को ठीक किया गया और उन्हें जीवनदान मिला। शेष 100 महाशक्तियज्ञ पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में होने हैं।

मैं छुआछूत, ऊँच-नीच, जातपात के भेदभाव को नहीं मानता। समानरूप से माता आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा की बनाई इस सृष्टि में जातीयता की खाई खोदना बन्द कर दो। जगत् जननी को प्रसन्न करना चाहते हो और उसी की रचना से भेदभाव रखते हो। अत: यदि ‘माँ’ से, देवी-देवताओं से कुछ प्राप्त करना चाहते हो, तो जातीयता की खाई मत खोदो। बचपन से लेकर आज तक कोई यह नहीं कह सकता कि मैंने जातीयता को महत्त्व दिया है। बड़ा लक्ष्य बना लेना महत्त्वपूर्ण नहीं है, बल्कि लक्ष्य को पाने के लिए प्रयत्नशील रहना महत्त्वपूर्ण है। लेकिन, दूसरों के कार्य में बाधक बनकर नहीं! आज समाज में यही हो रहा है कि मैं लक्ष्य तक पहुँच जाऊँ और दूसरे पीछे रह जाएं। आज छोटी-छोटी समस्याएं आने पर कुछ लोग आत्महत्या कर लेते हैं, जबकि कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो भीषण समस्या आने पर भी विचलित नहीं होते और समस्या का हल ढूँढ़ लेते हैं। अपने आत्मबल को मज़बूत बनाओ। अनीति-अन्याय-अधर्म को समाप्त करने के लिए आत्मबल को बढ़ाना होगा।

इन्द्रिय, मन, बुद्धि में समाहित हो चुके विकारों का त्याग करें। आत्मावान बनने के लिए यम, नियमों का पालन करना होगा। यम, नियम को पांच-पांच भागों में विभक्त किया गया है। यम- अहिंसा, सत्य, ब्रह्मचर्य, अस्तेय और अपरिग्रह। नियम- शौच, सन्तोष, तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्राणिधान। आप योग-ध्यान-साधना अवश्य करें। योगी वही बन सकता है, जो यम, नियम का कठोरता से पालन करता है। वे योगी हो ही नहीं सकते, जो भौतिक सामथ्र्य को पाने की लालसा में दौड़ रहे हंै। जिसके अन्दर सत्य को पाने की ललक उत्पन्न होजाती है, वही उत्कृष्टता को प्राप्त करता है। डॉक्टर, इन्जीनियर अवश्य बनो, लेकिन उससे पहले श्रेष्ठ इंसान बनो। अनीति-अन्याय-अधर्म के रास्ते पर मत चलो।

मैंने जो तीन बातें बतलाई हैं, नए भक्तों को भी ध्यान में रखने की ज़रूरत है। और वह तीन बातें हैं- धर्म, धैर्य और पुरुषार्थ। जीवन में कोई भी, कैसी भी परिस्थिति आ जाए, इन तीनों को मत त्यागो। अपने धर्म का त्याग जीवन के अन्तिम क्षणों तक न करें। हर परिस्थिति में धैर्य रखो और यदि पुरुषार्थी हो, तो सफलता आपके कदम चूमेगी। इच्छाओं और अपेक्षाओं के पीछे मत भागो, क्योंकि इच्छाएं अनन्त हैं और जब अपेक्षाएं पूरी नहीं होती हैं, तो उसकी पूर्ति के लिए गलत रास्ते पर चल पड़ते हो। यदि इच्छा उत्पन्न हो, तो सत्य को प्राप्त करने की, इससे शान्ति मिलेगी। महल खड़ा करना है, तो अपने अन्दर अच्छाईयों का महल खड़ा करो, प्रेम करना है, तो अपनी सुषुम्ना नाड़ी से करो। विकारों में कुछ नहीं रखा है, जबकि सुषुम्ना नाड़ी की चेतना जब सहस्रार को स्पर्श करती है, तो उस अलौकिक आनन्द की तुलना अन्य किसी सुख से नहीं की जा सकती। आत्मा और शरीर, जब दो से एक हो जाओगे, तभी वह तृप्ति, वह आनन्द आपको प्राप्त हो सकेगा।  

नित्य, हर पल, हर क्षण आदिशक्ति जगत् जननी जगदम्बा का ध्यान बना रहना चाहिए। मन में विकारात्मक भाव आयेंगे, तो उन्हें भगाओ और तुम भगा सकते हो, क्योंकि तुम्हारे साथ सत्य की यात्रा है और माता जगदम्बे की कृपा है। वर्तमान में जीना सीखो, वर्तमान को अच्छा बनाओ। ‘माँ’ के सच्चे भक्त बनो, नित्यप्रति  ‘माँ’-ॐ का उच्चारण और सहज प्राणायाम करो, साथ ही अपने आज्ञाचक्र पर ध्यान लगाना सीखो। आज्ञाचक्र को राजाचक्र कहते हैं, यदि उस पर पकड़ हासिल कर लोगे, तो इन्द्रियाँ तुम्हारे वश में होंगी। नित्य सूर्योदय से पहले उठो। इसके लिए अलार्म लगाने की भी ज़रूरत नहीं है। रात्रि में सोने से पहले अपने आज्ञाचक्र को निर्देशित करो कि मुझे सुबह इतने बजे उठना है और उतने समय नींद अवश्य टूटेगी, भले ही आलस्य, जड़ता के कारण करवट बदलकर फिर सो जाओ। इस आलस्य और जड़ता को त्यागना होगा। प्रचण्डशक्ति है आपके अन्दर, इस चेतनाशक्ति को जगाओ। आपके अन्दर इतनी सामथ्र्य है कि यदि उसे जगा लो, तो आपके नेत्रों की चेतनातरंगों के प्रभाव से बड़ी-बड़ी चट्टानें चूर-चूर हो सकती हैं। हमारे ऋषियों-मुनियों में अपार शक्ति थी। वे एकांत स्थान पर बैठ जाते थे, तो हिंसक जीव भी उन्हें बिना कोई नुकसान पहुँचाए चुपचाप निकल जाते थे। लेकिन, आज क्या हो रहा है? दिन-रात मोबाइल में विकारात्मक दृश्य देखते रहते हो। मोबाइल का दुरुपयोग किया जा रहा है। मोबाइल के गुलाम मत बनो, इससे आपकी मानसिक क्षमता का ह््रास हो रहा है, नाना प्रकार की बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं। धिक्कार है उन लोगों पर, जो विकारात्मक दृश्य देखते हैं। अरे, अच्छे दृश्य देखो और अच्छी बातें सुनो। अपनी अज्ञानता को दूर करो। कौन बतायेगा कि मोबाइल ज़हर है? क्योंकि माता-पिता स्वयं इसमें लिप्त हैं और वे अपने बच्चों के ही शत्रु बनते जा रहे हैं। व्हाट्सप में किसे दिखाना चाहते हो कि बेडरूम में क्या कर रहे हो? अपनी सुन्दरता दिखाना चाहते हो! दिखाना ही चाहते हो, तो कपड़े उतारकर सडक़ पर निकल जाओ, सब तुम्हारी सुन्दरता देख लेंगे। अरे, अपने विचारों को सात्विक बनाओ। उन सभी स्रोतों को खोल दो, जहाँ से सात्विक ऊर्जा मिल सके।

दुर्भाग्य है कि चाहे मठों मैं बैठे धर्माचार्य हों या हज़ारों-हज़ार साधु-संत-संन्यासी, सभी भटके हुए हैं और राजसत्ताओं के गुलाम बने हुए हैं। ऐसी राजसत्ताओं के गुलाम, जो कि अनीति-अन्याय-अधर्म में लिप्त हैं। उनके विरुद्ध कोई आवाज़ नहीं उठाना चाहते, लेकिन भगवती मानव कल्याण संगठन अवश्य उठायेगा। नशामुक्ति के लिए, समाजसुधार के लिए कार्य करो, धीरे-धीरे ऐसी राजसत्ताओं का धरातल खिसकता चला जायेगा। धर्माधिकारियों के पतन के कारण ही राजसत्ताएं निरंकुश हो चुकीं हैं। लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। एक-एक चुनाव में अरबों रुपया खर्च कर दिया जाता है। एक-एक सांसद, विधायक पद के उम्मीदवारों के द्वारा करोड़ों रुपया खर्च किया जाता है और चुनाव जीतने के बाद संविधान को अक्षुण्य बनाए रखने का संकल्प लिया जाता है। ऐसे लोग लोकतंत्र की क्या रक्षा करेंगे? अपात्र लोगों को अवार्ड दिया जा रहा है। क्या अदनान सामी अवार्ड का हकदार था! क्या कुमार विश्वास जैसे लोग अवार्ड के हकदार नहीं है? जिनकी हिन्दी में अच्छी पकड़ है और जो काव्यशैली के माध्यम से समाज को दिशा दे रहे हैं। भारतरत्न वास्तव में जिन्हें मिलना चाहिए, उन्हें नहीं दिया गया। क्या प्रणव मुखर्जी इसके हकदार थे और क्या उन्होंने कभी भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठाई? आज देश को तोडऩे वाली ताकतें सामथ्र्यवान बन रही हैं और देश को जोडऩे वाले गुमनामी के अंधेरे में हैं। चन्द्रशेखर आज़ाद, मंगल पाण्डे, लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, इन्हें कौन नहीं जानता? भारतरत्न जिन्हें मिलना चाहिए, उन्हें नहीं मिला। चाहे कांग्रेस की सरकारें हों या भारतीय जनता पार्टी की, चहुँओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है।

मानवजीवन को उत्कृष्ट दिशा प्रदान करने वाले अमृतमयी चिन्तन के उपरान्त, युग चेतना पुरुष सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने कहा कि प्राय: हर जि़ले में भगवती मानव कल्याण संगठन की शाखाएं हैं और तहसील व ग्रामस्तर पर टीमप्रमुख नियुक्त हैं। अत: जो चाहे, अपने क्षेत्र के टीमप्रमुख से सम्पर्क करके 24 घंटे या 05 घण्टे का अखंड श्री दुर्गाचालीसा पाठ अथवा एक घण्टे की ‘माँ’ की आरती का क्रम नि:शुल्क करवा सकते हंै।

पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में एक नि:शुल्क वस्त्र सहायता केन्द्र खोला गया है। ज़रूरतमंद लोग सिद्धाश्रम आकर अपनी आवश्यकतानुसार वर्ष में दो बार वस्त्र प्राप्त कर सकते हैं।

शारदीय नवरात्र की अष्टमी, नवमी व विजयादशमी (24, 25, 26 अक्टूबर 2020) को पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में शक्ति चेतना जनजागरण ‘संकल्प’ शिविर आयोजित किया जायेगा। साथ ही पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम में 20 नवम्बर से 30 नवम्बर 2020 तक ग्यारह दिवसीय योग-ध्यान-शक्तिसाधना शिविर आयोजित होगा। पात्रजन इस शिविर में सम्मिलित हो सकते हैं। इस सम्बंध में विशेष जानकारी शारदीय नवरात्र शिविर में दी जायेगी।

भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के कार्यकर्ताओं व सीधी और सिंगरौली जि़ले की क्षेत्रीय जनता के द्वारा एक लम्बे समय से की जा रही माँग को स्वीकार करते हुए सद्गुरुदेव जी महाराज ने एक और अतिमहत्त्वपूर्ण घोषणा की, कि आगामी लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश के सीधी संसदीय क्षेत्र से नशे-मांस से मुक्त चरित्रवान् समाज के निर्माण और भय-भूख-भ्रष्टाचारमुक्त समाज की स्थापना तथा मानवता की सेवा, धर्मरक्षा एवं राष्ट्ररक्षा के लक्ष्य को लेकर भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष संध्या शुक्ला जी चुनाव मैदान में उतरेंगी।

गौरतलब है कि बहन संध्या शुक्ला जी विगत कई वर्षों से सामाजिक उत्थान के लिए कार्य कर रही हैं और वे स्वस्थ राजनीति की स्थापना करना चाहती हैं, जिससे आम आदमी को उनका अधिकार मिल सके और उन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकना न पड़े। विदित हो कि भारतीय संविधान में लोकतंत्र की व्यवस्था का अभिप्राय आमजनता के तंत्र से है, जहाँ सभी के साथ समानता का व्यवहार हो और सभी को मूलभूत सुविधाएं सहजता से प्राप्त हों और वे अपने अधिकारों की रक्षा बिना किसी भय के कर सकें। लेकिन, आज़ादी के 72 वर्षों के बाद भी हमारे देश में लोकतंत्र का वास्तविक परिदृश्य दिखाई नहीं देता और समाज भय-भूख-भ्रष्टाचार से जूझ रहा है। आमजनता के वोट के बल पर देश में शासन करने वाले राजनीतिक दल आमजनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने में पूर्णत: असफल रहे हैं, बल्कि यह कहा जाए तो गलत न होगा कि बड़े-बड़े घोटाले करना ही उनका ध्येय बन चुका है। स्वार्थपरक राजनीति के कारण आज पूरा देश आर्थिक असमानता से तो जूझ ही रहा है, चहुँओर भय-भूख-भ्रष्टाचार व्याप्त है। यह सही है कि परिवर्तन तुरंत नहीं किया जा सकता, लेकिन किसी न किसी को तो परिवर्तन के लिए आगे आना ही होगा।

शिष्यों-भक्तों ने सीखे योग-ध्यान-साधना के गुर

शिविर के प्रथम दिवस का प्रथम सत्र- वृहदाकार पंडाल ही नहीं, वरन् समूचा एन.सी.एल. ग्राउण्ड अपार जनसमुदाय से भरा हुआ था। शक्तिस्वरूपा बहन पूजा दीदी और संध्या दीदी के सान्निध्य में सभी भक्तों ने माँ-ॐ का उच्चारण करने के उपरान्त ध्यान का क्रम पूर्ण किया।  इसके पश्चात्, योग के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए शक्तिस्वरूपा बहन संध्या दीदी जी ने कहा कि नित्यप्रति योगासन करने से शरीर व मन-मस्तिष्क स्वस्थ रहता है और स्वस्थ मनुष्य ही अपने कत्र्तव्यों का निर्वहन अच्छी तरह कर सकता है। योगपथ पर चलने के लिए योग के प्रति पूर्ण निष्ठा, विश्वास और समर्पण की आवश्यकता होती है। यदि शरीर में चैतन्यता नहीं है, तो कार्यक्षमता प्रभावित होती है और छोटी-छोटी बातों में तनाव आ जाता है। इससे बचने व कर्मपथ पर आगे बढऩे के लिए योग विधाओं को अपनाना अतिआवश्यक है। योग के माध्यम से हमारी कोशिकाएं चैतन्य होती हैं। 

बहन संध्या दीदी जी ने सरल शब्दों में योग के विभिन्न आसनों व ध्यान-साधना के बारे में क्रियात्मक रूप से बतलाया, जिससे गुरुभाई-बहनों व उपस्थित भक्तों ने योग-ध्यान-साधना के क्रमों को सीखा।

वापिसी यात्रा- गुरुदर्शन हेतु जगह-जगह भक्तों का उमड़ा सैलाब

दिनांक 11 फरवरी, दिन मंगलवार को प्रात:काल 07:00 बजे ऋषिवर सद्गुरुदेव परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज जैसे ही गुरुआवास से बाहर निकलते हैं, शिष्यों व ‘माँ’ भक्तों के मुखारविन्दों से उच्चारित जयकारों की प्रतिध्वनि से समूचा क्षेत्र गुंजायमान हो उठता है। बैढऩ से सिंगरौली होते हुए शहडोल जि़ले के ब्यौहारी अनुविभाग क्षेत्र में स्थापित पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम तक वापिसी नशामुक्त सद्भावना यात्रा के दौरान सडक़ मार्ग पर पडऩे वाले प्राय: सभी क्षेत्रों में परम पूज्य सद्गुरुदेव भगवान् के दर्शन हेतु उमड़े भक्तों के सैलाब की आतुरता का वर्णन करना सहज नहीं है।  

सद्भावना यात्रा में आगे-आगे दिशानिर्देशक वाहन और मोटरसाइकिलों का काफिला। हर मोटरसाइकिल में पीछे बैठे भक्त के  हाथों में शक्तिदण्डध्वज शोभायमान हो रहे थे। बड़ा ही मनमोहक दृश्य उपस्थित था। फिर परम पूज्य गुरुवरश्री का वाहन और शक्तिस्वरूपा बहनों के वाहन के पीछे सैकड़ों चारपहिया वाहनों में शिष्यगण चल रहे थे। यात्रा उमलोरी (नवानगर बाजार), जयंत चौराहा होते हुए सिंगरौली पहुँची, जहां प्रवेशद्वार पर गुरुवरश्री के दर्शन हेतु क्षेत्रीय भक्त और सैकड़ों की संख्या में गुरुभाई-बहन जयकारे लगाते हुए पंक्तिबद्ध खड़े थे। अनेक महिलाओं के हाथों में दीपकलश शोभायमान हो रहे थे। गुरुवरश्री ने सभी को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। इसी बीच भक्तों ने सद्भावनायात्रियों को फल, सूखे मेवे, मिष्टान्न और शुद्ध पेयजल का वितरण किया। सिंगरौली बाजार में जगह-जगह स्वागतद्वार सजाए गए थे।

यात्रा आगे कोलमी, बरगवाँ, गांगी (भैड़ार) व परसोहा होते हुए बुधमनिया पहुँची। सभी ग्रामों में भव्य स्वागतद्वारों का निर्माण किया गया था। छोटी-छोटी बच्चियाँ सिर पर नारियलकलश रखे जयकारे लगा रही थीं। गुरुवरश्री का वाहन जैसे ही उनके समीप पहुँचता है, जयकारों के बीच महिलाओं ने आरती उतारकर अगवानी की। सभी लोग आशीर्वाद की आकांक्षा में वाहन को छूकर ही तृप्त हो रहे थे। सिर पर कलश रखे महिलाओं व बच्चियों का श्रद्धाभाव देखकर प्रतीत हो रहा था कि नारीशक्ति का अभ्युदय हो रहा है और शीघ्र ही गाँव-गाँव में परम पूज्य गुरुवर की विचारधारा के अनुरूप धर्मयुद्ध का शंखनाद होगा। मुडक़टवा टोला में सद्भावना यात्रा की अगवानी में शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के छात्र और छात्राओं ने पंक्तिबद्ध खड़े होकर गुरुवरश्री को नमन किया। ग्राम बूढ़ाडोल और सजहवा होते हुए यात्रा चितरंगी पहुँची।

चितरंगी के मुख्यमार्ग सहित अनेकों स्थानों पर स्वागतद्वार बनाकर फूलों व लाल, पीला, हरा व बैगनी रंगों से रंगोली बनाई गई थी। मार्ग में फूलों की पंखुडिय़ां बिखेरकर व पटाखे फोडक़र सद्गुरुदेव भगवान् का स्वागत किया गया। गुदुम व शहनाई की स्वरलहरियाँ समूचे क्षेत्र में गूँज रहीं थीं। यात्रा के स्वागतार्थ आरएफआईएस स्कूल और सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के बच्चे सडक़ के किनारे पंक्तिबद्ध खड़े थे। हज़ारों की संख्या में नर-नारियाँ जयकारे लगाने में लीन थे। समूचा चितरंगी तहसील मुख्यालय क्षेत्र माँमय और गुरुमय हो उठा था। गुरुवरश्री के दर्शनों हेतु पूरा बाजार क्षेत्र उमड़ पड़ा था। ग्रामवासियों का अतुलनीय उत्साह देखकर परम पूज्य गुरुवरश्री ने वाहन से बाहर निकलकर सभी को दोनों हाथों से आशीर्वाद प्रदान किया। यात्रा जैसे ही आगे बढ़ी, सभी ग्रामवासी कुछ दूर तक वाहनों के साथ दौड़ते रहे। उनका उत्साह दर्शनीय था। अपने आराध्य के दर्शनों के मध्य कुछ भक्तों ने सद्भावनायात्रियों को फल व पेयजल वितरित करके श्रद्धा का परिचय दिया।

ग्राम खेरवा, गीरछाँदा, सकरिया, हरफरी, धवई होते हुए यात्रा पराई पंचायत पहुंची। सभी ग्रामों में स्वागत में खड़े ग्रामवासी अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करके धन्य हुए। पराई पंचायत में तो भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा था। आगे ग्राम कर्थुआ पंचायत और झोखो पंचायत में यात्रा का अभूतपूर्व स्वागत हुआ। इन ग्रामों में क्रमश: खीर, मुंगौड़ी और पेयजल का वितरण किया गया। यात्रा गोपद नदी (सिंगरौली जि़ले की सीमा समाप्त) पार करते हुए सीधी जि़ले के ग्राम बहरी पहुँची। ग्राम बहरी में भव्य स्वागतद्वार बनाया गया था। जयकारों से समूचा क्षेत्र गुंजायमान हो रहा था। हज़ारों लोगों ने गुरुदर्शन प्राप्त करके जीवन को सौभाग्यशाली बनाया। इन सभी स्थानों पर गुरुवरश्री ने वाहन से बाहर निकलकर भक्तों, शिष्यों को आशीर्वाद प्रदान किया। ग्राम बहरी में भक्तों ने आलूबड़ा और मुंगौड़ी वितरित की। उनका उत्साह देखते ही बन रहा था। ग्राम तेंदुहा, रजडिहा व कुचवाही में भक्तिभाव से आल्हादित नर-नारियों और स्कूल के बच्चों का भारी समूह उमड़ पड़ा था।

शनै:शनै: यात्रा का प्रवेश सीधी जि़ला मुख्यालय में हुआ। सीधी में तो गुरुभाई-बहनों, नगरवासियों व गुरुवरश्री के दर्शन हेतु आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से पहुंचे हज़ारों लोग सडक़ मार्ग के दोनों ओर पंक्तिबद्ध होकर जयकारे लगा रहे थे। भक्तों की पंक्ति नगर के बीचोबीच तीन से चार किलोमीटर तक चली गई थी। गौरतलब है कि सीधी जि़ला मुख्यालय में सद्भावना यात्रा में लगभग ढ़ाई घण्टे का समय लगा। सीधी में सद्भावनायात्रियों को फल, मिष्टान्न, आलू के पराठे, मुगौड़ी, खीर और पेयजल का वितरण कर भक्तों ने विशेष श्रद्धाभाव का परिचय दिया।

सद्भावना यात्रा ग्राम बंजारी, चौफाल, खॉमघाटी होते हुए ताला पहुंची। इन ग्रामों में भी सद्गुरुदेव भगवान् जी का अभूतपूर्व स्वागत किया गया। रात्रि के सात बज चुके थे और ग्राम मझौली ताला ग्राम से लगभग पाँच किलोमीटर दूर था, फिर भी मझौली ग्रामवासियों ने मझौली गेट पहुँचकर अपने आराध्य का दर्शनलाभ प्राप्त किया। बड़ा ही मनमोहक दृश्य था। मझौली ग्राम के भक्तों के हाथों में अनेक प्रज्जवलित दीपों से युक्त थालियाँ थीं, जबकि छोटे-छोटे बच्चे अपने हाथों में एक-एक दीप लिए कतारबद्ध खड़े थे और अंधेरे में सैकड़ों दीपों की रोशनी बिखर रही थी।

यहाँ से नशामुक्ति सद्भावना यात्रा तेजगति से आगे बढ़ी और चमराडोल व बनास नदी पार करके ब्यौहारी होते हुए पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम पहुंचकर यह अविस्मरणीय यात्रा समाप्त हुई।

पत्रकार वार्ता

 शिविर समापन के पश्चात् अगले दिन 10 फरवरी को सिंगरौली पैलेस, गुरुआवास में आयोजित पत्रकार वार्ता में परम पूज्य सद्गुरुदेव श्री शक्तिपुत्र जी महाराज ने पत्रकारों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए भगवती मानव कल्याण संगठन, पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम और भारतीय शक्ति चेतना पार्टी की जनकल्याणकारी विचारधारा से अवगत कराते हुए कहा कि इन त्रिधाराओं का उद्ेश्य मानवता की सेवा, धर्म की रक्षा और राष्ट्ररक्षा है।

आपश्री ने कहा कि आज देश में एक भी पार्टी ऐसी नहीं है, जो भ्रष्टाचार में लिप्त न हो। अमूमन राजसत्ताएं शराब बिकवाकर आमजनता का शारीरिक, मानसिक व आर्थिक, सभी स्तरों पर शोषण कर रहीं हैं। भगवती मानव कल्याण संगठन के कार्यकर्ताओं ने 1000 से अधिक अवैध शराब की खेपें पकड़ाई हैं, विस्फोटक पकड़ाए गए हैं। हमारा संगठन जनहित में सभी पक्षों में ध्यान दे रहा है। परमसत्ता ने जो क्षमता दी है, उसका सदुपयोग किया जा रहा है, दुरुपयोग नहीं। जो चुनाव आयेंगे, उनमें भारतीय शक्ति चेतना पार्टी अधिक से अधिक प्रत्याशी मैदान में उतारेगी।

परम पूज्य गुरुवरश्री ने कहा कि चुनाव के समय करोड़ों-अरबों रुपया खर्च करके लोकतंत्र की हत्या की जाती है। चुनाव आयोग द्वारा खर्च की निर्धारित सीमा से कई गुना अधिक राशि खर्च की जाती है। यह लोकतंत्र की हत्या नहीं, तो और क्या है? लेकिन हमारे संगठन के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को कोई करोड़ों रुपए देकर भी नहीं खरीद सकता। आज़ादी हमेंं सहज ही नहीं मिल गई। इसके लिए देश के हज़ारों वीर सपूतों ने न जाने कितनी यातनाएं सही हैं। यदि इसे समझ लिया जाए, तो आज जो हो रहा है, वह न हो। 10 लाख से अधिक मेरे दीक्षाप्राप्त शिष्य हैं, लेकिन पता लगा लिया जाए कि एक भी शिष्य, संगठन का एक भी कार्यकर्ता आज तक दंगाईयों में शामिल नहीं रहा।

वार्ता के उपरान्त, सभी पत्रकारों ने सद्गुरुदेव जी महाराज को प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त किया।

पत्रकार वार्ता में प्रमुख रूप से राजेन्द्र कुमार त्रिपाठी जी-संभागीय सचिव म.प्र. पत्रकार संघ, पत्रकार विवेक कुमार त्रिपाठी जी, पप्पू शर्मा जी-नवभारत, मुकेश गुप्ता जी-स्टार समाचार, श्रीकांत द्विवेदी जी-विंध्य टाइगर, मनीष दुबे जी-विद्रोही न्यूज, नीरज द्विवेदी जी-अनोखी आवाज, नीरज पाण्डेय जी-दैनिक कालचिन्तन, विमल जी-दैनिक भास्कर, दिवाकर शुक्ला जी-एस. न्यूज, सुरेश कुमार जी-न्यूज स्टेट और जमुना प्रसाद सोनी जी, बढ़ता कारवाँ व अलोपी शुक्ला जी-संकल्प शक्ति समाचारपत्र शामिल रहे।

जनप्रतिनिधियों ने लिया आशीर्वाद

क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों सुभाष वर्मा जी, विधायक देवसर और राघवेन्द्र सिंह जी, प्रदेश कांग्रेस नेता, झुग्गी झोपड़ी संघ सहित अनेक गणमान्य नागरिक  भी सद्गुरुदेव जी महाराज से मिले और प्रणाम करके आशीर्वाद प्राप्त किया।

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